Meri Shayree-मेरी शायरी
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जिन्दगी
डॉ. पुरुषोत्तम मीणा ‘निरंकुश’
पाकीजा
2.10.13
जिन्दगी का सफ़र
बहुत मुश्किल होता है, जख्मों के साथ जिन्दगी का सफ़र!
चंद कांटे चुभते ही छोड़ जाते हैं, अधबीच में ही हमसफ़र!!
:- 02-10-2013
22.6.13
पाकीजा
कैसी हुई खता मुझसे कि उसे मैं दिलवर समझ बैठा!
खुदा माफ़ करे, उस नापाक को पाकीजा समझ बैठा!!
डॉ. पुरुषोत्तम मीणा ‘निरंकुश’-22.06.2013
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