2.10.13

जिन्दगी का सफ़र

बहुत मुश्किल होता है, जख्मों के साथ जिन्दगी का सफ़र!
चंद कांटे चुभते ही छोड़ जाते हैं, अधबीच में ही हमसफ़र!!
:- 02-10-2013

22.6.13

पाकीजा

कैसी हुई खता मुझसे कि उसे मैं दिलवर समझ बैठा!
खुदा माफ़ करे, उस नापाक को पाकीजा समझ बैठा!!

डॉ. पुरुषोत्तम मीणा ‘निरंकुश’-22.06.2013